Sunday, May 19, 2019

दिग्गी हैं तो मुमकिन है। देश की चर्चित सीट।

दिग्गी राजा की सकारात्मक व योजनाबद्ध चुनाव प्रचार की शैली से भोपाल लोकसभा चुनाव सदियों तक याद रखा जाएगा...

मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा सीट हैं लेकिन पूरे चुनाव के दौरान समूचे देश की सबसे चर्चित सीट रही भोपाल लोकसभा। दो कारणों से ये सीट चर्चा में रही, पहला कारण कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश के 10 साल मुख्यमंत्री रहे अपने सबसे अनुभवी और चर्चित चेहरे दिग्विजय सिंह जी को चुनाव मैदान में उतारा। दूसरा सबसे बड़ा कारण मध्यप्रदेश भाजपा को चुनाव लड़ने के लिए जब कोई योग्य उम्मीदवार नही मिला तो बीजेपी ने विश्व का पहला उदाहरण प्रस्तुत करते हुए चाकूबाजी, हत्या व आतंकवाद जैसे जघन्य मामलों की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को पूरे देश में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए भोपाल से अपना प्रत्याशी बनाया। जनता ने दोनों ही प्रत्याशी को नजदीक से देखा, जहां दिग्विजय सिंह जी इसीलिए चर्चित हुए कि उन्होंने भोपाल के विज़न के साथ सकारात्मक चुनाव प्रचार किया वहीं प्रज्ञा ठाकुर अपने तथ्यहीन बयानों से चर्चा में रहीं और वैसे भी प्रज्ञा ठाकुर वही कर रहीं थी जो उनसे करने को कहा गया था ये और बात है कि उनके एक भी तीर निशाने पर नही लगे।

प्रज्ञा ठाकुर नकारात्मक चुनाव प्रचार करने आई थी इसीलिए उन्होंने खुद को प्रताड़ित करने की झूठी कहानी महिलाओं को सुनाई और उसी कहानी में शहीद हेमंत करकरे को विलेन बनाने का कुत्सित प्रयास भी किया। शहीद हेमंत करकरे पर अपमान जनक टिप्पणी करने पर जब देश में आग सुलगने लगी तो चुनाव आयोग ने प्रज्ञा ठाकुर को 72 घंटे के लिए बैन कर दिया। इस पूरे चुनाव की खास बात यह भी रही कि बीजेपी नेताओं ने प्रज्ञा ठाकुर को अलग थलग छोड़ दिया। हाँ सभी ने पक्की वाली मुंह दिखाई ज़रूर की। नही तो पहली बार ये देखने को मिला कि प्रज्ञा ठाकुर के साथ प्रचार पर गिने चुने 10-20 लोग ही जा रहे थे और टीव्ही चैनलों पर चल रही चुनावी डिबेट पर बड़े नेताओं के साथ 100-200 लोग जा रहे थे। इसका सीधा मतलब है कि दिग्विजय सिंह जी जैसी बड़ी शख्सियत के सामने बीजेपी नेताओं ने पहले ही घुटने टेक दिए थे वे पूरे समय सिर्फ रस्म अदायगी कर रहे थे।

भाजपा की लाख कोशिशों के बाद भोपाल चुनाव के केंद्र बिंदु दिग्विजय सिंह जी ही रहे। जिस व्यक्ति ने अपनी मज़बूत दृढ़ इच्छाशक्ति से 3300 किलोमीटर की नर्मदा जी की कठिनतम परिक्रमा पैदल की हो उनसे आक्रामक और जोश से परिपूर्ण चुनाव लड़ने की उम्मीद अमूमन सभी को होगी। 72 वर्ष की आयु में उन्होंने भोपाल-सीहोर लोकसभा क्षेत्र के कोने कोने को नाप दिया। जब बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित किया तब तक दिग्विजय सिंह जी लोकसभा क्षेत्र में 2 बार घूम चुके थे। उन्होंने भोपाल के हर एक पहलू को छुआ और उनका चुनाव प्रचार लोकसभा क्षेत्र के सुनियोजित और सुसंगत विकास की योजनाओं पर केंद्रित रहा। दिग्विजय सिंह जी के सकारात्मक चुनाव प्रचार के कारण बीजेपी के ध्रुवीकरण के प्रयासों पर पानी फिर गया। बीजेपी ने कई बार कोशिश की कि चुनाव को अपने हिसाब से मोल्ड कर दें लेकिन दिग्विजय सिंह जी के योजनाबद्घ चुनाव प्रचार के आगे बीजेपी के हर पैंतरे नाकामयाब रहे।

दिग्विजय सिंह जी भोपाल-सीहोर के चहुंमुखी विकास के एजेंडे के साथ चुनाव मैदान में उतरे, उन्होंने "भोपाल विज़न" नाम से विकास का खाका प्रस्तुत किया। कांग्रेस के विज़न को बुद्धिजीवी वर्ग ने खूब सराहा वहीं प्रज्ञा ठाकुर का चुनाव एजेंडा फिक्स था, हार्डकोर हिंदुत्व जो दिग्विजय सिंह की विकास की अवधारणा के सामने चित्त हो गया। प्रज्ञा ठाकुर की कट्टर और आपराधिक छवि की वजह से पढ़े लिखे और बल्कि वे मतदाता जिन्होंने सदियों बीजेपी को वोट दिया वे भी उनसे किनारा करते नज़र आये।

भोपाल लोकसभा क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं से रूबरू होने की ललक में दिग्विजय सिंह जी ने भोपाल में पद यात्रा करके चुनाव को और रोचक बना दिया। उनकी चुनाव प्रचार की सकारात्मक और योजनाबद्ध शैली से भोपाल का 2019 का यह चुनाव सदियों तक याद रखा जाएगा इसमें किंचित मात्र का भी संदेह नही है। दूसरी याद रखने वाली वजह प्रज्ञा ठाकुर भी होंगी जो अब शहीद करकरे को अपमानित करने के बाद महात्मा गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देश भक्त कह कर महिमामंडित कर रही हैं, इसी को कहते हैं मुंह में राम बगल में नाथूराम(छुरी)। अब प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर मोदी जी कह रहे हैं कि मैं उन्हें माफ नही करूँगा, तो मोदी जी आपको उन सभी लोगों से माफी मांगना चाहिए जिन्होंने आपके द्वारा चुनाव में खड़ी की गई प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर को वोट दिया है। मोदी जी आपके प्रज्ञा ठाकुर को माफ नही किये जाने वाले बयान की वजह से प्रज्ञा ठाकुर को वोट देने वाले मतदाता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं। मोदी जी आपकी पार्टी ने चुनाव के दौरान यह कहा कि प्रज्ञा को नही मोदी को वोट दीजिये लेकिन अब आप उसी प्रज्ञा ठाकुर के बयानों पर शर्मिंदा हैं। क्या ये भोपाल के मतदाताओं के साथ छलावा नही है?

भोपाल में प्रज्ञा ठाकुर की स्पष्ठ दिख रही हार एवं प्रज्ञा के बयानों व अंतिम चरण के चुनावी गणित के बिगड़ने की वजह से बीजेपी ने घड़ियाली आंसू बहाते हुए उन्हें नोटिस दिया है। एक ही तरह के अपराध की दो अलग सज़ा कैसे हो सकती है। मध्यप्रदेश बीजेपी के संचार विभाग के प्रमुख अनिल सौमित्र को महात्मा गांधी जी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कहे जाने पर बीजेपी ने उन्हें तत्काल पार्टी से निष्काषित कर दिया और महात्मा गांधी के हत्यारे को देशभक्त कहने पर प्रज्ञा ठाकुर को सिर्फ नोटिस दिया। बीजेपी की मंशा महात्मा गांधी जी को सच्ची और वास्तविक श्रद्धांजलि देने की होती तो नोटिस देने की बजाय परिणाम आने से पहले प्रज्ञा ठाकुर को बर्खास्त कर देती और प्रज्ञा के चुनाव नामांकन रद्द करवाने की प्रक्रिया अपनाती। ये दोहरापन ही बीजेपी का असली चाल, चरित्र और चेहरा है।

No comments:

Post a Comment

Featured post

मोदी की जीत भारतीय राजनैतिक चेतना का तीसरा सोपान है।

उनके लिए जिन्हें देश से प्रेम भी है और देश की फिक्र भी है मोदी की जीत भारतीय राजनैतिक चेतना का तीसरा सोपान है। पिछड़ों और दलितों की राजनीत...