Monday, January 15, 2018

नर्मदा नदी में बालू रेत का अवैध खनन पुनः जारी।

एनजीटी कोर्ट भोपाल का रेत के अवैध उत्खनन पर रोक का आदेश केवल दिसंबर तक ही।
मध्यप्रदेश सरकार ने हरित न्यायालय भोपाल के हुक्म से नर्मदा नदी में रेत के अवैध खनन पर कार्यवाही करते हुए नर्मदा नदी के अधिकतर क्षेत्रों में रेत चेक पोस्ट बना दिए थे। मध्यप्रदेश सरकार की इस व्यवस्था से न केवल नर्मदा नदी में बालू रेत के अवैध खनन पर रोक लगी अपितु रेत माफियाओं के विरुद्ध नौ माह में 125 प्रकरण भी दर्ज हुए।
           नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी में हो रहे बालू रेत के अवैध खनन पर अपनी नाराज़गी जताते हुए नर्मदा नदी के होशंगाबाद, नेमावर, नसरुल्लागंज, सीहोर, भोपाल आदि क्षेत्रों में चेक पोस्ट स्थापित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को पिछले साल आदेश जारी किए थे जिसपर कार्यवाही करते हुए तत्काल ही प्रदेश सरकार ने चेक पोस्ट बना दिए थे। किंतु अब समय सीमा नहीं बढ़ने से यह चेक पोस्ट सूने हो गए हैं और बालू रेत माफियाओं के हौंसले एक बार फिर बुलंद हो गए हैं। ट्रैक्टर ट्रॉली, डम्पर आदि से बालू खनन और परिवहन पुनः चालू हो गया है।

Saturday, January 13, 2018

भारत में जातियों में बढ़ती वैमनस्यता। ज़िम्मेदार कौन?

देश में बढ़ती वैमनस्यता, ज़िम्मेदार मौन।
भारत एक ऐसा देश जहाँ हर किसी धर्म, जाति और सम्प्रदाय को समान अधिकार दिए जाते हैं। यहाँ शरणार्थियों को रहने की छूट दी गई। यह समरसता का सिद्धांत केवल भारत में ही है। हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई। यही इस देश की प्रवृत्ति रही है।
          भारत कई नामों यथा: हिन्दोस्तान, भारत, इंडिया जैसे नामों से जाना जाता है। यहाँ पाकिस्तान सिंध से आए लोगों को सम्मान के साथ रहने की जगह दी गई। यहीं बांग्लादेश से आए शरणार्थियों ने को सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया।
         भारत ही वह देश है जहाँ मुग़लों, मंगोलों और अंग्रेजों ने बरसों नहीं बल्कि सदियों हुकूमत की है लेकिन फ़िर भी यह देश अडिग ही रहा। सैकड़ों साल गुलाम रहने के बावजूद यहाँ की आपसदारी और एकता हमेशा अक्षुण्य रही। बरकरार रही।
           अभी कुछ सालों से यहाँ भारत में सवर्ण-दलित, हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-ईसाई का विवाद बहुत तेज़ी से बढ़ा है। कई नगरों और प्रदेशों में यह समरसता वैमनस्यता में परिवर्तित होती दीख रही है। अभी कुछ माह पूर्व राजस्थान में मुसलमानों के खिलाफ तो झारखंड में भी यही। महाराष्ट्र में दलित और मराठों में विवाद जो महाराष्ट्र से गुजरात तक पसरा। यह क्या है, कहाँ जा रहा है मेरा अमन का गहवारा। क्यों नहीं हम इसकी हिफाज़त में इसकी एकता और आपसदारी में उठ खड़े नहीं होते?

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