Monday, December 31, 2018

यमन में सऊदी अमेरिकी गठबंधन का विरोध शुरू।

यमन में सऊदी अमेरिकी गठबंधन द्वारा किए जा रहे पाश्विक हमलों के विरुद्ध कुछ अरब देशों के समाजिक एवं मीडिया कर्मियों की सहायता से सोशल मीडिया पर सऊदी उत्पादों का बहिष्कार का कम्पेन शुरू हो गया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़ आले सऊद शासन द्वारा यमन पर थोपे गए युद्ध के कारण अब तक 14 हज़ार से अधिक आम नागरिक हताहत हो चुके हैं जबकि दसियों हज़ार नागरिक सऊदी अमेरिकी गठबंधन के पाश्विक हमलों में गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यमन पर सऊदी गठबंधन द्वारा किए जा रहे बर्बरतापूर्ण हमलों के कारण लाखों यमनी नागरिक बेघर हो चुके हैं। इस बीच अमेरिका के समर्थन से यमन पर सऊदी अरब द्वारा किए जा रहे पाश्विक हमलों के ख़िलाफ़ अब कुछ अरब देशों के समाजिक कार्यकर्तओं, पत्रकारों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने सऊदी अरब के उत्पादों के बहिष्कार का आभियान आरंभ किया है। इस बहिष्कार कम्पेन में यमन, लेबनान, इराक़, ट्यूनेशिया, फ़िलिस्तीन और मिस्र सहित कई अन्य अरब देशों के सोशल मीडिया साइटों से जुड़े लाखों लोगों ने सऊदी अरब में निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार का एलान किया है और साथ ही पूरी दुनिया के लोगों से अपील की है कि वे अत्याचारी आले सऊद शासन द्वारा यमन की जनता पर किए जा रहे अत्याचारों के ख़िलाफ़ उठ खड़े हों और सऊदी उत्पादों का बहिष्कार करें। उल्लेखनीय है कि सऊदी उत्पादों के बहिष्कार का अभियान बिल्कुल वैसा ही है जैसे इस्राईली वस्तुओं के बहिष्कार का कम्पेन किया जाता रहा है। सऊदी अरब के उत्पादों के बहिष्कार का अभियान चलाने वालों का कहना है कि दुनिया के जो लोग यमनी बच्चों के नरसंहार में शामिल नहीं होना चाहते हैं वह सऊदी अरब की वस्तुओं का बहिष्कार करें।
दूसरी ओर कुछ अरब देशों में सऊदी उत्पादों के बहिष्कार का अभियान बहुत तेज़ी से फैल रहा है और इन अरब देशों की जनता बड़े पैमाने पर इस अभियान में भाग ले रही है, जिसके बाद आले सऊद शासन के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है और उन्होंने इस बहिष्कार अभियान को कमज़ोर करने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं। 

Sunday, December 30, 2018

2018 में अर्थव्यवस्था के साथ कई अन्य क्षेत्रों के विभिन्न आंकड़ों सहित व्यापक पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन ने मोदी सरकार की नाकामी की पोल खोल कर रख दी: रोज़गार और नोटबंदी बनी बड़ी परेशानी का सबब।

2018 में अर्थव्यवस्था के साथ कई अन्य क्षेत्रों के विभिन्न आंकड़ों सहित व्यापक पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन ने मोदी सरकार की नाकामी की पोल खोल कर रख दी: रोज़गार और नोटबंदी बनी बड़ी परेशानी का सबब।

साल 2018 में सरकार के प्रदर्शन और अर्थव्यवस्था सहित कई अन्य क्षेत्रों के विभिन्न आंकड़ों का अनूठा तालमेल नजर आता है। चाहे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर का आंकड़ा हो या रोजगार सृजन का या किसानों की आय का या फिर गो हिंसा का आंकड़ा, इन सभी से साल 2018 में हुई विभिन्न गतिविधियों की झलक मिलती है।

भारत में इस साल रोजगार सबसे बड़ी चुनौती रही और इस बारे में कहीं से कोई राहतभरी खबर नहीं आई। एम्प्लॉइमेट रेट को कॉन्स्टैंट रखने के लिए सालाना 82 लाख नौकरियों की जरूरत है। साल 2017 में महज 20 लाख नौकरियों का सृजन हुआ। नरेंद्र मोदी ने सालाना एक करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था।

नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा 2016 में की गई नोटबंदी का असल असर इस साल आना शुरू हुआ और यह उम्मीदों के अनुकूल नहीं है।

व्यापक पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन की वजह से कृषकों का संकट मीडिया और बड़े शहरों के लोगों के ध्यान में आया। आंकड़े बेहद गंभीर हैं। खेती-किसानी से बहुत ही कम आय हो रही है। एक किसान परिवार की कुल मासिक आय 6,426 रुपये है। इसमें मजदूरी का योगदान 2,071 रुपये, कृषि से 3,081 रुपये, पशुपालन से 763 रुपये और गैर-कृषि कार्यों से 512 रुपये है। सबसे बड़ी बात यह है कि 52 फीसदी कृषक परिवारों पर कर्ज है। औसतन हर किसान परिवार पर 47,000 रुपये का कर्ज है, जिनमें से उन्होंने 60 फीसदी कर्ज बैंक या वित्तीय संस्थान से, जबकि 26 फीसदी कर्ज महाजनों से लिए गए हैं।

साल 2018 की शुरुआत में बीजेपी आश्वस्त थी कि वह इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में बाजी मार ले जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बाजी मारना सत्तारूढ़ दल के लिए आसान नहीं होने वाला है।

बीजेपी के सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दिसंबर में एक पुलिसकर्मी और एक युवक की हुई हत्या ने एक बार फिर गोहिंसा की खबरों को सुर्खियों में ला दिया।

जिन घटनाओं के बारे में फुसफुसाहट में बातें होती थीं, साल 2018 में उनपर लोग खुलकर सामने आए। इस साल मीडिया, ऐंटरटेनमेंट और राजनीति सहित विभिन्न क्षेत्रों में यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर पीड़िता खुलकर सामने आईं और अपने साथ हुई ज्यादतियों को लोगों के बीच रखा। जिस के चलते एक केंद्रीय मंत्री को अपना पद गंवाना पड़ा और कम से कम पांच पत्रकारों को पद छोड़ने के लिए कहा गया।

Saturday, December 29, 2018

भारतीय समाज और समय।

सहज संवाद / डा. रवीन्द्र अरजरिया

इंसानियत के लिए समझने होंगे इबादत के असली मायने

       खुदा की इबादत से जिन्दगी संवारनें का रास्ता अख्तियार करने वालों के बीच आम आवाम खुद-ब-खुद उसी नेक रास्ते पर चलने लगता है। माहौल का फर्क जिन्दगी जीने के फलसफे पर होते ही है इसीलिये हमेशा आगे बढने वालों की जिंदगी में झाकने और उससे सीखने की हम निरंतर कोशिश करते रहते हैं। हमारे दोस्त रज्जाक खान दिल्ली आये और हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगार चलने के लिए तैयारी लगाने लगे। हम भी उनके साथ हो लिये। आंगन में महफिल सजी थी। दरगाह में नातखानी का प्रोग्राम चल रहा था। खिचडी दाढी वाले कब्बाल मियां अपने शागिर्दों के साथ खूबसूरत बंदिशों से सजी-संवरी नात पेश कर रहे थे। उनकी खास किस्म की गायकी से निकल कर जब हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैहे बसल्लम की शान में अल्फाजों की खुशबू फैली  तो महफिल में मौजूद लोगों के दिलों की धडकनें बंदगी के लिए बेताब हो उठी। इनामों की बौछार होने लगी। जिस्मानी अहसास कहीं दूर जाकर रूहानी बन गये। पूरा माहौल जन्नत के मानिंद हो उठता। हम आश्चर्यचकित थे कि महाराज छत्रसाल की नगरी के खुर्शीद निजामी कब्बाल ने अपनी गायकी से इतना बडा मुकाम कैसे हासिल कर लिया। प्रोग्राम के बाद जैसे ही आमना-सामना हुआ, वह लिपट गये। रज्जाक भाई ने प्रश्नवाचक नजरों से हमें घूरा। पुरानी यादें ताजा हो गई। तालाब के किनारे बैठकर खुर्शीद मियां से गजलें सुनने का दौर जेहन में कौंधने लगा। दोस्तों के साथ बैठकर घंटों कब्बाली का रियाज करने से लेकर मशहूर मजलिसों तक पहुंच दर्ज करना, आसान नहीं होता। खुर्शीद मियां ने बताया कि बुंदेलखण्ड की धरती से निकलकर पहली बार नागपुर में अपने हुनर को दिखाने का मौका मिला। बडा प्रोग्राम, दूर-दराज का मामला और मराठी भाषी लोगों की भीड से नर्वस हो गया था। मालिक को याद किया, उस्ताद का नाम लिया और अपने साजिंदों को खास समझाइश दी। वो प्रोग्राम था और आज का दिन, पीछे मुडकर नहीं देखा। बुलावे पर बुलावे आते रहे। तारीखों पर तारीखें तय होतीं रहीं। नातखानी, नातिया मुशायरा और खुशी के मौकों पर महफिलों के साथ साथ भजन, कीर्तन और धार्मिक संगीत के प्रोग्राम करने वाली कमेटियां छोटी-बडी गाडियों से लेने के लिए पहुंचती रहीं। शुरूआत के जमाने में पेंटरों से बडे-बडे बैनर बनवाये जाते। पोस्टरों पर अलग-अलग तरह की तस्वीरें छापी जाती थी। गली-मुहल्लों से लेकर सडकों-बाजारों तक पोस्टर-बैनरों की भरमार होती थी। आज जमाना बदल गया है। पोस्टर, बैनर और माइक की मुनादी की जगह फ्लैक्स, होडिंग्स और टीवी के स्ट्राल ने ले ली है। सीधे बुलावे की जगह अब नेटवर्किंग ने ले ली है। मेहनताने का रूप बदलकर पैकेज सिस्टम बन गया है परन्तु खुर्शीद मियां प्राइवेट महफिलों को छोडकर आज भी किसी दरगाह, मंदिर या धार्मिक स्थलों के लिए मेहनताना तय नहीं करते। उर्स पर पहुंचकर हाजिरी लगाने के लिए वे हमेशा तैयार रहते हैं। जो भी मिल जाये उसी में खुश न मिल जाये तो भी खुश। तभी तो मालिक ने उन्हें इतना नवाजा है। अभी हम यादों के दायरे में गोते लगा ही रहे थे कि एक सूटेड-बूटेड महाशय ने जोर से हल्लो कहकर चल रहे संवाद में अवरोध उत्पन्न कर दिया। हमने आवाज की दिशा में देखा तो बस देखते ही रह गये। लखनऊ विश्वविद्यालय में पीजी क्लास के सहपाठी विनोद पाण्डेय सामने से बडे-बडे कदम भरते हुए चले आ रहे थे। एक और गले मिलने का सुख हमें मिला। यह मुलाकात भी एक संयोग ही थी। विनोद वास्तव में एक म्यूजिक कम्पनी के चेयरमैन हैं। वे अपने मैनेजर के साथ हम शुक्रवार को हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगार पर माथा टेकने आते हैं। इस बार वे माथा टेककर वापिस जा ही रहे थे कि खुर्शीद मियां की आवाज ने उनके पैरों में बेडियां डाल दी। वे खुर्शीद मियां को ही ढूंढ रहे थे अपने नये एलबल में उन्हें एक दिलकश आवाज के लिए। तभी हम उन्हें नजर आ गये। हमारे पास आने के बाद जब उन्होंने पलट कर देखा तो सामने उनकी पसन्दीदा आवाज खडी थी। उन्होंने अपने एलबम में काम करने की पेशकश की, खुर्शीद मियां ने कुबूल की। हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैहे बसल्लम का गुलाम होने वाला किसी और का गुलाम हो ही नहीं सकता। आज जरूरत है इबादत और पूजा के सही मायने समझने की तभी देश-दुनिया के साथ-साथ इंसानियत को नयी ऊंचाइयों तक पहुचाया जा सकेगा। इस बार बस इतना ही। अगले हफ्ते एक नयी शक्सियत के साथ फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए खुदा हाफिज।

Friday, December 28, 2018

रेलवे सहकर्मी पर महिला से ज़्यादती का आरोप।

सैक्सुअल हैरिस्मेंट की पीड़ीता पर आरोपी के साथ रात्रि में रूकने का नाजायज दबाव बनाने वाले रेलवे अधिकारी रमेश गुप्ता की सीओ झांसी जीआरपी कब करेंगे गिरफ्तारी।

झांसी मंडल से सम्बध भीमसेन रेलवे स्टेशन पर तैनात 58 वर्षीय मनचले रेलकर्मी को जीआरपी पुलिस ने भेजा जेल परन्तु सैक्सुअल हैरिस्मेंट के आरोपी को बढ़ावा देने वाले उसके साथ पीड़ीता को जबरन रात्री में रुकने के लिए मजबूर करने वाले कानपुर में तैनात रेलवे अधिकारी रमेश गुप्ता और अन्य की पुलिस ने अभी तक नहीं की गिरफ्तारी। आरोपी बेटी की उम्र की वहीं पर हेल्पर के पद पर कार्यरत महिला का छह माह से कर रहा था सेक्सुअल हैरिस्मेंट प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने पर आईजी रेलवे के आदेश पर दर्ज हुआ था आरोपी पर मुकदमा। गम्भीर धाराओं में दर्ज मुकदमें में मनचले श्रीमान आशिक के साथ साथ तीन रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी हैं अभियुक्त एक अधिकारी रमेश गुप्ता कानपुर नगर में है तैनात। कानपुर नगर रेलवे के झांसी मंडल से सम्बद्ध कानपुर नगर के भीमसेन रेलवे स्टेशन में हेल्पर के पद पर कार्यरत अनुसूचित जाति की चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मी का लगातार छह महीनों से वहीं पर तैनात 58 वर्षीय मनचले कर्मचारी द्वारा किऐ जा रहे सेक्सुअल हैरिस्ममेंट प्रकरण में जब एक पत्रकार ने पीड़िता का दर्द अपने अखबार में सम्पूर्ण वृतांत के साथ प्रकाशित किया तब जाकर सुस्त प्रशासन की नींद खुली और आईजी रेलवे के आदेश पर पीड़िता की तहरीर पर 58 वर्षीय मनचले श्रीमान आशिक लक्ष्मी नारायण शर्मा सहित तीन रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा अपराध संख्या 28/2018 धारा 354/323/506 भादवि, एससी- एसटी एक्ट के भीम सेन थाने में पंजीकृत किया गया। पीड़िता रेलवे कॉलोनी गोविंद नगर कानपुर नगर की रहने वाली है। और वर्तमान में भीमसेन रेलवे स्टेशन में हेल्पर के पद पर कार्यरत है। पीड़िता के ही कार्यालय में टेक्नीशियन के पद पर काम करने वाले लक्ष्मी नारायण शर्मा, जो कि उसके पिता की उम्र के हैं परंतु मनचले टाइप के हैं, जब से वह भीमसेन रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी करने  आयी थी तब से वे पीड़िता को बद नियति से घूरते रहते थे धीरे-धीरे उन्होंने उसे छेड़ना, अभद्र बातें करना आरंभ कर दिया था पीड़िता ने कई मर्तबा विनती की कि आप मेरे पिता समान हैं, मगर वे नहीं माना और छेड़छाड़ करना चालू रखा। महिला का आरोप था की वह अनुसूचित जाति से है इसलिए जब उसने मौखिक शिकायतें अपने उच्च अधिकारियों से की तो उन सबने उसे अपना मुंह बंद रखने को कहा और कहा कि मैनेज करना सीखो। दिनांक 25 मार्च 18 को जब पीड़िता भीमसेन स्टेशन पर अपनी ड्यूटी पर थी तभी लगभग 9:30 बजे लक्ष्मीनारायण आया और पीड़िता के शरीर के अंगों से इधर-उधर छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया। परंतु इस बार उसने मोबाइल के कैमरे में आरोपी की सारी हरकतें कैद कर ली। और उस वीडियो को पीड़िता ने अपने उच्च अधिकारी रमेश गुप्ता (एस.एम.ई) को दिखाया तो उन्होंने उसे कहा की इसको यहीं खत्म करो। पीड़िता ने विभाग के ही नीलकमल श्रीवास्तव से शिकायत की जो ए.ई. हैं, उन्होंने भी उसे धमकाया और कहा कि यह सब बंद करो नहीं तो सस्पेंड कर दूंगा। इसके बाद पीड़िता ने अपने सीनियर डी.जे. धर्मेंद्र कुमार यादव से शिकायत की तो उन्होंने भी चुप रहने को कहा। पीड़िता का आरोप है कि इसी सब के कारण आरोपी लक्ष्मी नारायण शर्मा के हौसले बुलंद हो गए और उन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ करना ज्यादा कर दिया और उसका व्हाट्सएप हैक करवा लिया है तथा एडिटेड फोटो वायरल करके पीड़िता को बदनाम कर रहा था। जांच अधिकारी सीओ झांसी जीआरपी क्यों नहीं कर रहे अन्य आरोपी अधिकारियों की गिरफ्तारी। उक्त प्रकरण में सीओ झांसी (जीआरपी)  जांच अधिकारी हैं।सीओ झांसी द्वारा 58 वर्षीय मनचले लक्ष्मी नारायण शर्मा को दिनांक 22/12/18 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। परंतु पीड़िता को मनचले के साथ रात्री में रुकने के लिए गैर कानूनी दबाव बनाने वाले कानपुर नगर के गोविंद नगर रेलवे स्टेशन पर  स्थित वरिष्ठ अनुभाग अभियन्ता विधुत कार्यालय में सेक्सन सीनीयर इंजिनियर (इलेक्ट्रिकल) के पद पर तैनात रमेश गुप्ता तथा नील कमल श्रीवास्तव व धर्मेंद्र यादव जो नामित अभियुक्त हैं। इनकी गिरफ्तारी न होने से जीआरपी पुलिस संदेह के घेरे में है। फिलहाल जब तक पीडी़ता को न्याय नहीं मिल जाता है तब तक जन एक्सप्रेस पीड़ीता को न्याय दिलाने के लिए वचनबद्ब है।

महाराष्ट्र मुख्यमंत्री पर करोड़ों के घोटाले का आरोप।

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील का मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर एक लाख करोड़ रुपये के घोटाले का सनसनीखेज आरोप।

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने सनसनीखेज आरोप लगाया है कि मुंबई के नए डिवेलपमेंट प्लान (डीपी 2014-34) में बदलाव करके एक लाख करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुंबई के दिग्गज बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय और बिल्डरों के बीच 10,000 करोड़ रुपये की डील हुई है, जिसमें 5,000 करोड़ रुपये की पहली किश्त दी जा चुकी है। विखे पाटील ने चेताया कि मुख्यमंत्री ने बिल्डरों के हित में जो बदलाव किया है, उसे 15 दिन के अंदर फिर से बहाल करें, वरना वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मुख्यमंत्री ने विखे पाटील के आरोपों को बेबुनियाद और तर्कहीन करार देते हुए कहा कि वह आरोपों को साबित करें, वरना हम उन पर मानहानि का दावा करेंगे।
मुंबई महानगर की विकास नियमावली 2014-34 में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। ये सभी बदलाव मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल में किए गए। इनमें टीडीआर, एफएसआई, दो बिल्डिंगों के बीच की दूरी, सड़क विस्तार और भूखंड आरक्षण जैसे बदलाव शामिल हैं। गुरुवार को विखे पाटील ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'मुंबई के दिग्गज चुनिंदा बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए मुंबई के नई डीपी में किए बदलावों के सारे सबूत उनके पास हैं। उन्होंने कहा, 'मैं शुरू से कह रहा हूं कि मुंबई की डीपी में 2500 से ज्यादा बदलाव किए गए, लेकिन मुंख्यमंत्री कहते हैं कि सिर्फ 14 बदलाव किए। एक-एक मुद्दे पर 100 से 150 तक बदलाव किए गए हैं। सेस बिल्डिंगों का भी बड़ा घोटाला है।' मुख्यमंत्री ने सफाई दी है कि मुंबई मनपा की सर्वसाधारण सभा ने 2500 बदलाव सुझाए थे, लेकिन अभी तक वे मंजूर नहीं हुए हैं। विखे पाटील ने आरोप लगाया कि मनपा आयुक्त अजय मेहता ने बिल्डरों और मुख्यमंत्री के बीच 'सौदा' कराया। उन्होंने आरोप लगाया, 'बांद्रा, गोरगांव और मुलुंड जैसे इलाकों में बिल्डरों को फायदा देने के लिए नए डीपी में बदलाव किया गया। पहले दो इमारतों के बीच फायर ब्रिगेड के वाहनों के जाने के लिए 9 मीटर का रास्ता छोड़ना अनिवार्य होता था। इसे बदलकर 6 मीटर कर दिया गया है। इतनी कम जगह में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां कैसे जा सकेंगी? झोपड़पट्‌टी पुनर्वसन परियोजना (एसआरए) के लिए अभी तक 4 एफएसआई दिया जाता था, लेकिन सरकार ने एफएसआई में बढोतरी कर बिल्डरों को बड़ा फायदा पहुंचाया।

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