Monday, January 14, 2019

प्रयागराज में कुंभ शुरू, करोड़ों लोग जुटे

प्रयागराज में विश्व महाकुम्भ।

प्रयागराज में कुंभ शुरू, करोड़ों लोग जुटे


प्रयागराज। आज मकर संक्रांति है। प्रयागराज (इलाहाबाद) में आज से कुंभ मेले का आरंभ हो रहा है। विश्व के सबसे बड़े मेले में करोड़ों लोग प्रयाग की धरती पर पवित्र गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर जुट रहे हैं। मेले को भव्य कुंभ-दिव्य कुंभ नाम दिया गया है। लगभग ढाई महीने तक चलने वाले इस आयोजन की भव्यता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने दुनिया भर में इसके प्रचार-प्रसार में करोड़ों रुपये खर्च किये हैं। साधु-संतों, औघड़ों, नागाओं, बाबाओं के अलावा कल्पवास करने के लिए लाखों लोग जुटे हुए हैं। इनको देखने के लिए लाखों विदेशी मेहमान भी आये हुए हैं। विदेशियों के लिए खास तौर पर पांच सितारा होटल जैसा टेंटसिटी बनाया गया है। अकबर के किले के ठीक सामने संगमतट पर करीब दस किलोमीटर के क्षेत्र में बसे कुंभनगर को कई सेक्टरों में बांटा गया है। यहां सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल और उनके उपकेंद्र पूरे मेला क्षेत्र में हैं। इसमें चौबीस घंटे डॉक्टरों की मौजूदगी है। 


प्रयागराज शहर में पिछले दो वर्ष से इसकी तैयारियां चल रही हैं। शहर की सड़कें चार और छह लेन की बनाई गई हैं। सभी सड़कें आधुनिक और उच्च तकनीकी के प्रयोग से काफी चिकनी और मजबूत बनायी गयी हैं। रेलवे और हवाई अड्डे पर चौबीसों घंटे ट्रेनें और उड़ानों की व्यवस्था हसि।पूरे शहर में 'पेंट माई सिटी' के तहत पौराणिक विषयों पर आकर्षक और रंगीन चित्रकारी की गई है। इससे पूरा शहर सुंदर और अलग नजारा पेश कर रहा है।शहर में चौबीस घंटे बिजली-पानी की आपूर्ति हो रही है। मेले में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों, विभिन्न प्रदेशों के राज्यपालों-मुख्यमंत्रियों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। 


हिन्‍दू धर्म में महीने दो पक्षों में विभाजित होते हैं - एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्‍ल पक्ष। ऐसे ही वर्ष को भी दो अयनों में बांटा गया है- एक उत्‍तरायन (या उत्तरायण) और दूसरा दक्षिणायन (या दक्षिणायण)। सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेशकरता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है और सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस त्‍योहार को पूरे देश में मनाया जाता है, वैसे तो यह पर्व जनवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह 15 जनवरी को भी पड़ जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्‍तरायण गति प्रारंभ हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्‍तरायण भी कहते हैं।


हिन्‍दु धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्‍णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्‍मकता को समाप्‍त करने का दिन भी मानते हैं। इस दिन बहुत जगह पतंग उड़ाने की भी प्रथा है।


Thursday, January 10, 2019

व्हाट्सएप ने डिलीट किये डेढ़ मिलियन अकॉउंट।


नई दिल्ली। इन दिनों वॉट्सऐप अपने फीचर्स की वजह से नहीं, बल्कि चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को लेकर सुर्खियों में है. पिछले कुछ समय से लगातार रिपोर्ट्स आ रही हैं कि वॉट्सऐप पर भारत सहित कई देशों चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के लिए ग्रुप्स बनाए जा रहे हैं. इन ग्रुप्स में घड़ल्ले से ऐसे कॉन्टेंट शेयर भी किए जा रहे हैं। अब वॉट्सऐप ने कदम उठाया है और 1 लाख 30 हजार से ज्यादा अकाउंट्स ब्लॉक और डिलीट किए गए हैं. हाल के 10 दिनों में कंपनी ने इन अकाउंट्स को वॉट्सऐप से हटाना शुरू किया है. कंपनी ने हाल पिछले साल ही कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेकर ऐसे अकाउंट्स छांटे जाते  हैं. वॉट्सऐप ने ये अकाउंट्स AI टूल्स के जरिए ढूंढा और फिर इन्हें अवैध ऐक्टिविटी की वजह से डिलीट किया गया। गौरतलब है कि वॉट्सऐप के चैट्स एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं. इस सिक्योरिटी का मतलब ये है कि वॉट्सऐप पर भेजे गए मैसेज या कॉन्टेंट सिर्फ सेंडर और रिसीवर ही देख या पढ़ सकता है. इतना ही नहीं कंपनी भी इन्हें नहीं पढ़ सकती है. इसलिए ही वॉट्सऐप अवैध कॉन्टेंट के लिए AI का सहारा ले रही है. ये टूल वॉट्सऐप अकाउंट के अन-एनक्रिप्टेड जानकारियों की जांच करता है. इनमें प्रोफाइल फोटो, ग्रुप प्रोफाइल फोटोज और ग्रुप इनफॉर्मेशन शामिल हैं. जांज करके इन्हें हटाया जाता है। वॉट्सऐप PhotoDNA नाम का भी टूल यूज करता है जिसे फेसबुक यूज करता है. इसके तहत पॉर्न और अब्यूजिव इमेज की पहचान की जाती है और संभावित वॉट्सऐप ग्रुप या यूजर्स जो इसे शेयर कर सकते हैं उन्हें बैन किया जाता है। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने चाइल्ड पॉर्नोग्रफी की रिपोर्ट के बाद दिए एक बयान में कहा है, ‘WhatsApp चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी रखता है. हमने अपनी सबसे एडवांस्ड टेक्नॉलजी को इससे निपटने के लिए लगाया है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल है. ये प्रोफाइल फोटोज को स्कैन करता है और संदेह होने पर अकाउंट्स बैन करता है. हमें भारत और दूसरे देशों की जांच एंजेसियों को भी जवाब दिया है. चूंकि ऐप स्टोर्स और कम्यूनिकेशन सर्विस को अब्यूजिव कॉन्टेंट फैलाने के लिए यूज किया जा रहा है, इसलिए  इससे निपटने के लिए टेक कंपनियों को मिल कर काम करना होगा। हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि थर्ड पार्टी ऐप्स के जरिए वॉट्सऐप ग्रुप के नाम को सर्च किया जा रहा है. वॉट्सऐप ने इसके रिप्लाई में कहा है कि वॉट्सऐप ऐसा कोई फीचर नहीं देता है जिससे किसी थर्ड पार्टी ऐप से ग्रुप के बारे में सर्च किया जा सके। वॉट्सऐप का टूल आपके अकाउंट को भी डिलीट कर सकता है अगर आप ऐसे किसी अवैध ग्रुप के साथ जुड़ते हैं. चूंकि अभी कोई भी बिना इजाजत आपको अपने ग्रुप में ऐड कर सकता है, इसलिए आप सावधान रहें और ऐसे अकाउंट्स या ग्रुप्स को रिपोर्ट करें जो चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के कॉन्टेंट शेयर करते हैं. 

पूरे हौसले से सारी कठिनाइयों से लड़ेंगे हम: कमलनाथ

इस लड़ाई में हम कामयाब होंगे

कठोर डगर की विरासत पर

सधे हुए कदमों से बढ़ेंगे हम ,

पूरे हौसले से सारी कठिनाइयों से लड़ेंगे हम ,

सुशासन की एक-एक सीढ़ियाँ गढ़ेंगे,

और कदम-दर-कदम

उस पर चढ़ेंगे हम –

चढ़ेंगे हम –

राज्यपाल महोदया ने ‘हम सबकी सरकार कैसे प्रदेश का भविष्य सँवारेगी’ इस पर प्रकाश डाला है। मैं ये मानता हूँ कि हमारे सामने आर्थिक संदर्भों में कई चुनौतियाँ हैं, मगर चुनौतियों को अवसर में बदलने का नाम ही मध्यप्रदेश है। हम इस कठोर डगर पर सधे हुए कदमों से चलेंगे।

हम जानते हैं कि बीते 15 वर्ष के इतिहास की गलतियों से सबक नहीं लेंगे तो भविष्य हमें माफ़ नहीं करेगा। हमारी मान्यता है कि किये हुए काम अपना प्रचार ख़ुद करते हैं, इसलिए हम सिर्फ़ कोरी घोषणाओं से बचें और अपना सारा ध्यान काम पर लगाएँ।

मध्यप्रदेश के नागरिकों ने नई सरकार को बदलाव के लिये चुना है। ये बदलाव सुशासन के लिये है। बीते 24 दिनों में बदलाव की पदचाप सुनाई देने लगी है। हम सरकार में से ‘मैं और मेरी’ हटाकर ‘हमारी सरकार’ की भावना स्थापित करना चाहते हैं। अब हर नागरिक गर्व से कह सकता है, ‘मैं भी सरकार हूँ’। हम सही मायने में सत्ता की कमान प्रदेश के नागरिकों को सौंपना चाहते हैं ।

विश्वास मानिए, जब भी सत्ता ‘व्यक्ति केंद्रित’ होती है, तो प्रजातंत्र को नुकसान पहुँचता है। इसमें सामूहिकता का बोध होना चाहिए। पक्ष, प्रतिपक्ष और जनता, सबका दायित्व प्रजातंत्र ने निर्धारित किया है। हमारी मान्यता है कि सरकार ठीक काम करे, इसके लिये प्रतिपक्ष मज़बूत और ज़िम्मेदार होना चाहिये।

मैं ये साफ़ कर देना चाहता हूँ कि हमारी लड़ाई प्रतिपक्ष के खिलाफ़ नहीं है। हम सब मिलकर मध्यप्रदेश की आर्थिक बदहाली, कुपोषण, अपराध, घटते रोज़गार के अवसर और कम होते औद्योगिक निवेश के खिलाफ़ लड़ाई लड़ेंगे और कामयाब होंगे। हमारी प्राथमिकता में नागरिकों का स्वास्थ्य, शिक्षा और अधोसरंचना भी है।

हमारे अन्नदाता भाइयों को कठिनाइयों से उबारना है। कर्ज माफ़ी स्थाई समाधान नहीं है। उनकी बहुत बड़ी अपेक्षाएँ नहीं हैं। वो सिर्फ़ अपनी फ़सलों के दाम चाहते हैं,ये हमें सुनिश्चित करना होगा।

भारतीय सनातन संस्कृति से बेटियाँ देवियों का स्वरूप हैं। उनसे प्रेरणा ली गई है। आज क्या हम उन्हें प्रताड़ित होने दें ? कतई नहीं। उनके सशक्तिकरण के लिए कदम उठा रहे हैं। उनके ससुराल जाने के वक्त 51 हज़ार रु. देकर पिता का फ़र्ज निभा रहे हैं। बेटियाँ खुशी मनाती हैं, तो तरक्की मुस्कुराती है।

प्रदेश का उज्जवल भविष्य युवाओं में निहित है। अगर उनको अवसर प्रदान किये जाएंगे, तो हम तरक्की की पायदान चढ़ते जाएंगे। ये तब ही संभव है जब मध्यप्रदेश में निवेश हो और वो सिर्फ़ बड़े आयोजनों से आकर्षित नहीं होगा। बड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। लाल फीता शाही ख़त्म कर लाल कारपेट बिछाने होंगे।

गौ माता के लिए गौ शाला हो, भगवान राम का वनगमन पथ या नर्मदा जैसी शास्त्रीय नदियों की अविरलता हो, हम अपने वचन-पत्र के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से काम करेंगे।

हम गर्व से कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश देश का वो राज्य है जहाँ सबसे ज़्यादा आदिवासी भाई रहते हैं और प्रदेश के विकास में भरपूर साथ देते हैं। अब बारी हमारी है उनका साथ निभाने की, उनकी खुशियाँ उन्हें लौटाने की। अनुसूचित जाति, सामान्य वर्ग, हर वर्ग के हाथों में लेकर हाथ चलेंगे। हम सब साथ साथ करेंगे ‘सिर्फ़ और सिर्फ़ सुशासन के लिए बदलाव की बात।’

मैं जब से चला हूँ, मेरी मंज़िल पर निगाह है। आज तक मैंने मील का पत्थर नहीं देखा।

Friday, January 4, 2019

एटा महोत्सव में अव्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद डीएम साहब

एटा महोत्सव में अव्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद डीएम साहब
धन्य है एटा की प्रशासनिक कार्यप्रणाली और धन्यवाद के पात्र हैं एटा के जिलाधिकारी? बदइंतजामी और अव्यवस्थाओं के साथ एटा महोत्सव में आयोजित हुए अमीर खुसरो, गोस्वामी तुलसीदास और बलवीर सिंह रंग के कार्यक्रम में अघोषित अव्यवस्था के लिए सर्वप्रथम एटा के जिलाधिकारी को धन्यवाद क्योंकि प्रशासनिक व्यवस्था ने एटा की धरती पर जन्मे महापुरुषों को अपमानित करने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी। इसलिए बार बार एटा डीएम को धन्यवाद बोलने का मन कर रहा है। मैं एटा डीएम से अपील करता हूँ कि वह एटा महोत्सव में इसी तरह प्रशासनिक अव्यवस्थाओं का सिलसिला बदस्तूर जारी रखें ताकि एटा की जनता को पता चल सके कि वह एटा के वासी हैं और अव्यवस्थाएं उनका मुकद्दर है।
कल यानी 3 जनवरी 2019 को एटा महोत्सव में हजरत अमीर खुसरो, गोस्वामी तुलसीदास और बलवीर सिंह रंग को याद करने के लिए एटा कासगंज जिले के प्रमुख नागरिक एकत्रित हुए ताकि इन तीनों शख्सियत के योगदान पर चर्चा की जा सके कि अमीर खुसरो, गोस्वामी तुलसीदास और बलवीर सिंह रंग ने किस तरह अपनी कलम से पूरी दुनिया में एटा की पहचान कराई। ये तीनों शख्सियत एटा की धरोहर हैं इनका योगदान एटा के इतिहास के लिए गौरवशाली है। एटा के इन महापुरुषों को जितना सम्मान दिया जाए उतना कम है लेकिन एटा जिला प्रशासन ने इन तीनों शख्सियत को अपमानित करने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी। इन तीनों महापुरुषों के सम्मान में आयोजित हुए कार्यक्रम में किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने शिरकत करने की जहमत नही उठाई लिहाजा अव्यवस्थाओं ने कार्यक्रम पर अपना अवैध कब्जा कर लिया। अघोषित विधुत व्यवस्था के बीच आयोजित हुए कार्यक्रम ने सारा मजा किरकिरा कर दिया। किस्तों में आयोजित हुए कार्यक्रम के लिए एटा का जिला प्रशासन बधाई का पात्र है क्योंकि एटा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब कार्यक्रम के आयोजन के दौरान एक दो बार नही बल्कि 10 से 12 बार विधुत सप्लाई को बाधित हुई हो। एटा महोत्सव के व्यवस्थापकों ने जनरेटर से विधुत सप्लाई देने से इंकार कर दिया लिहाजा जब बिजली आती तो कार्यक्रम शुरू हो जाता बिजली चली जाती तो कार्यक्रम बंद हो जाता था। संयोजक ने जनरेटर से विधुत सप्लाई की मांग की तो जनरेटर से विधुत सप्लाई देने के एवज में सात हजार रुपये मांगे गए। जब प्रशासन व्यवस्थित कार्यक्रमों का आयोजन नही करा सकता तो क्या जरूरत है एटा महोत्सव के आयोजन की।
अंत में एटा डीएम से अपील कर रहा हूँ कि वह सभी कार्यक्रमों में इसी तरह अव्यवस्थाओं को महत्व देने की कृपा करें खासकर रंगारंग डांस कार्यक्रम में सिर्फ एक बार विधुत सप्लाई बंद करवा दें फिर जिला प्रशासन को अव्यवस्थाओं की सारी कहानी समझ में आ जाएगी और टेंट तंबू शायद ही सुरक्षित मिले। आशा करता हूँ कि हमारे डीएम साहब डांस प्रोग्राम में एक बार विधुत सप्लाई बंद करवाने की कृपा जरूर करेंगे। अव्यस्थाओं के साथ अमीर खुसरो, गोस्वामी तुलसीदास और बलवीर सिंह रंग का कार्यक्रम का आयोजन कराने के लिए एटा जिला प्रशासन को दिल से धन्यवाद।
अमन पठान, क्रांतिकारी पत्रकार, एटा

Wednesday, January 2, 2019

अन्याय के खिलाफ अनवरत योद्धा- कल्पना पारुलकर का निधन प्रदेश की अपूर्णीय छती कल्पना जो साकार नहीं हो सकी। डॉ सुनीलम


अन्याय के खिलाफ अनवरत योद्धा- कल्पना पारुलकर का निधन प्रदेश की अपूर्णीय छती
कल्पना जो साकार नहीं हो सकी।
डॉ  सुनीलम

कल्पना जी के देह त्याग की खबर फिर सोशल मीडिया पर देखी ,फिर से इंदौर में साथियों को फोन लगाया ,कहा अखबारों ने छाप दिया तो ठीक ही होगा, असल में 15 दिनों से कल्पना जी के गुजर जाने की खबर सोशल मीडिया में चल रही थी ,हर बार  में खबर पढ़ता ,कल्पना जी के नंबर पर फोन करता ,पता चलता कि वे बेहतर हैं ,होश में हैं। इसी बीच समाजवादी साथी तपन भट्टाचार्य  की उसी मेदांता अस्पताल में देहांत की खबर मिली मैं मुम्बई के रास्ते में था ,भोपाल उतर कर इंदौर गया । मदन अग्रवाल जी को लेकर मेदांता पहुंचा।
आई .सी.यू में गया ,कल्पना जी बिस्तर पर थी ,मुंह खुला हुआ था ,गर्दन नीली पड़ गई थी ,सांस चल रही थी ,कई नलियां  मुंह ,गर्दन और  हाथों में लगी हुई थी,कई बार पुकारा आंख नहीं खोली ,डॉक्टर ने बताया अभी तक जागी हुई थी ,सो गई हैं। मैंने डॉ से कहा कि जबरजस्त इक्षाशक्ति रखती हैं ,मौत के मुंह से बाहर आ जाएंगी ,डॉक्टर ने कहा हम भी उम्मीद करते है लेकिन  दोनो किडनी काम नहीं कर रही हैं,हार्ट भी 10% पंप कर रहा है ,बहुत मुश्किल है। मुझे जितनी बार कल्पना जी की खबर पढ़ने मिली हर बार मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी ,दिग्विजय सिंह ने कल्पना जी की बलि ले ली।
कल्पना जी बहुत जीवट वाली महिला थी ,एक बार फिर से विधायक बनने की कल्पना उनकी थी ,वे मानती थी की लड़ेंगी तो जरूर जीतेंगी । वे कांग्रेस छोड़ चुकी थी,आम आदमी पार्टी में बहुत सारे सपनो के साथ शामिल हुईं ,पर जल्दी ही निराश हो गईं  लेकिन अचानक कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद  कमलनाथ जी उनको वापस कांग्रेस में ले आये थे।  मैंने उनको चेताया था धोखा होगा पर उनको कमलनाथ  पर पूरा भरोसा था लेकिन दिग्विजय सिंह के वीटो के चलते टिकट नहीं दिला सके।
कल्पना जी ने मुझे बताया था कि उन्होंने कमलनाथ जी को कहा कि मेरी राजनीतिक हत्या के लिए मुझे कांग्रेस में क्यों लाये ? कमलनाथ असहाय थे ,कुछ कर न सके।
मैंने उनसे कहा कि लड़ना चाहो तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जी से बात करता हूँ ,बोली कि मेरे पास पैसा नहीं है ,पार्टी उतना पैसा नहीं दे पाएगी जितनी जरूरत है ,हारने के लिए चुनाव नहीं लड़ना चाहती। कल्पना जी टिकट न मिलने के कारण पूरी तरह टूट गईं ,इसके बावजूद उनके मन में यह पक्का भरोसा था कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो कमलनाथ जी उनको जरूर एडजस्ट करेंगे परंतु यह भी डर था कि दिग्विजय सिंह कुछ भी नहीं करने देगा।
कल्पना जी से मेरा सम्बन्ध और संपर्क बहुत पुराना था ,वे बाबा आमटे जी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में थी।1998 के बाद में हम  विधानसभा में साथ रहे ,दैनिक वेतन भोगियों  के नियमितीकरण ,शराब बंदी आंदोलन ,बिजली बिल माफी सहित तमाम आन्दोलन साथ साथ किये ।हर वर्ष मुलतापी  में होने वाले शहीद किसान स्मृति सम्मेलन में भी शामिल हुईं ।एक रात हम न्यू मार्किट चौराहे पर बाबूलाल गौर जी के साथ रातभर धरना देते रहे। उज्जैन जेल ,भोपाल जेल कई बार कल्पना जी से मिलने गया।
फोन पर हम लगातार संपर्क में रहते वे सदा कहती थी मैं और तुम मिलकर प्रदेश की सरकार को उलट सकते हैं।मैं कहता था आप प्रदेश में समय नहीं देती वे कहती थी प्रोग्राम फाइनल करो इस बार साथ दौरा करेंगे।
वे स्वप्न दृष्ट्या थी ,24 घंटे किसानों के मुद्दों को लेकर उनका दिमाग चलता रहता था। जिस मुद्दे को पकड़ लें उसको छोड़ती नहीं थीं ,मुझे याद है महिदपुर में 50 % महिलाओं से शराब की दुकान बंद कराने के हस्ताकचर के बाबजूद जब सरकार ने दुकान बंद नहीं की तो उन्होंने आंदोलन चलाया ,अपनी ही सरकार के नीतिगत फैसले को लागू कराने के लिए 3 महीने जेल में रहीं।
हमने मीटर जलाने का आंदोलन भी  साथ किया था उसमें मेरे साथी बद्रीलाल पाटीदार जी को एक साल की सजा भी हो गई थी। किसानों को सही दाम पर बिजली मिले और उपज का पूरा दाम दिलाना कल्पना जी की जीवन की प्राथमिकता थी ।
मन्दसौर में गोलीचालन के बाद हमारी  रतलाम से निकलने के बाद साथ गिरफ्तारी हुई मेधाजी ,स्वामी अग्निवेश जी ,योगेंद्र यादव जी ,पारस सकलेचा जी भी साथ थे ,फिर हम साथ ट्रैन से गए हमे फिर कलेक्टर ने गिरफ्तार कर राजस्थान पहुंचवा दिया था।
मन में बार बार आता है कि कांग्रेस ने कल्पना जी की प्रतिभा का इस्तेमाल तो किया ही नहीं उनको उचित सम्मान तक नहीं दिया।
हर उतार चढ़ाव में सीनियर  एडवोकेट देसाई जी उनके साथ रहे ,मेरे प्रकरणो को लेकर भी सदा देसाई जी और कल्पना जी आक्रोशित रहे। वे कहती थी तुम चिंता मत करो तुम्हारे साथ जो अन्याय हुआ है उसको मैं खत्म कराउंगी। मैं मजाक करता था सडक  मंत्री रहकर ।कहती थी ,समय आएगा प्रदेश चलाऊंगी ।
यह तो तय है कांग्रेस का टिकट मिला होता तो वे जीतती भी और मंत्री भी बनती लेकिन अपनो ने ही अडंगा लगा दिया। कल्पना जी की कल्पना साकार नहीं हो सकी।
उनकी कल्पना मंत्री बनने तक सीमित नहीं थी वे समतावादी किसान मज़दूर केंद्रित व्यवस्था बनाना चाहती थी।
कल्पना जी जब भी मिली , सदा आत्म विस्वास से लवरेज ,उत्साह से परिपूर्ण ,24 घंटे व्यवस्था से भिड़ने को तैयार। फोन पर  जब भी बात होती आंदोलनों की नई योजनाएं बनती।
विश्वास नहीं हो पा रहा कि वे अब नहीं हैं।अब कभी संघर्ष के मैदान में नहीं मिलेंगी। मन बहुत दुखी है , संतोष है कल्पना जी का  अंतिम दर्शन कर सका । किसान नेत्री के  तौर पर उन्हें सदा याद किया जाएगा।
एक अन्तरंग साथी का जाना खालीपन छोड़ गया,जो शायद कभी नहीं भरा जा सकेगा।

हज़रत मौलाना हसरत मोहानी सादा ज़िन्दगी।

हज़रत मौलाना हसरत मोहानी सादा ज़िन्दगी।

एक ऐसा शख़्स जिसने फ़क़ीरी और दरवेशी में अपनी ज़िंदगी गुज़ार दी, जिसका टूटा फूटा मकान था जिसमें टाट का पर्दा लगा रहता था। जिसके पास एक मैला-कुचैला थैला रहा करता था। उस थैले में फटे पुराने कपड़े, एक लोटा और चंद कागज़ात रहा करते थे। जो शख़्स जब संविधान सभा की बैठक में आता तो संसद के सामने एक टूटी सी मस्जिद में अपना क़याम करता। वो शख़्स जिसने कभी संसद से तनख़्वाह या कोई भी सरकारी सहूलियत नहीं लिया।

वो शख़्स जिसने इंक़लाब ज़िंदाबाद का नारा दिया, जिसने सम्पूर्ण आज़ादी का नारा बाबुलंद लगाया। जिसने अपनी ज़िंदगी के छः साल इसलिए जेल में गुज़ार दिया ताकि आने वाली नस्लें एक आज़ाद और ख़ुदमुख़्तार मुल्क में सांसें ले सकें।

वो शख़्स क्या नहीं था। कभी आलिम बनकर, तो कभी शायर बनकर, मुजाहिद ए आज़ादी बनकर, तो कभी क़ायद बनकर मुल्क और इंसानियत की बेलौस ख़िदमत किया। जिसकी शायरी और ग़ज़लें आज भी रूह को ताज़ा कर देती हैं।

वो शख़्स जिसने कभी कांग्रेस को मज़बूत किया फिर ख़िलाफ़त आंदोलन ख़त्म किए जाने पर कांग्रेस से अपना रिश्ता तोड़ लिया। लेनिन का दीवाना ये शख़्स कम्युनिस्ट पार्टी भी ज़ोईन किया। लेफ़्ट में रहकर जिसने वामपंथी मूल्यों और इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों में समानता दिखाया। वो शख़्स जो गांधी की तरह बैठकर बात करने के बजाय लेनिन की तरह दुनिया को हिला देने की बात करता था। अम्बेडकर का वो साथी जिसके साथ अम्बेडकर दस्तरखान पर साथ बैठकर खाना खाते थे।

वो शख़्स जिसने मुस्लिम लीग को नई ऊर्जा दी। वो शख़्स जिसने मुस्लिम लीग में रहकर उसके द्विराष्ट्रीय सिद्धांत का विरोध किया एवं पाकिस्तान बनने के विरोध में खड़े हो गए। वो शख़्स जिसने बँटवारे के बाद पाकिस्तान जाने से मना कर दिया। मुनव्वर राणा ने उसी शख़्स के बारे में मुहाज़िरनामा में लिखा है कि,

“वो पतली सी सड़क जो उन्नाव से मोहान जाती है
वहीं हसरत के ख़्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं।”

उस अज़ीम शख़्स का नाम ‘मौलाना हसरत मोहानी’ था और आज उस अज़ीम शख़्सियत की यौम ए पैदाईश है। खुदा से यही दुआ है कि आपको करवट करवट जन्नत अता करे।

Tuesday, January 1, 2019

कभी पैरों में डालने को नहीं थी चप्पल: कादर खान

कभी पैरों में डालने को नहीं थी चप्पल

मुंबई: साल 2019 की शुरुआत में ही एक बुरी खबर आ गई है। बॉलीवुड एक्टर कादर खान का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है। बीते 5-6 दिनों से कादर खान अस्पताल में भर्ती थे। कादर के निधन की पुष्टी उनके बेटे सरफराज ने की है। उन्होंने कनाडा के अस्पताल में अंतिम सांस ली। कादर ने अपने फिल्मी करियर में 300 फिल्में की है। कादर खान फिल्मों का ऐसा हीरा रहे, जिनकी अदाकारी की लिस्ट काफी लंबी है। कादर खान ने न केवल फिल्मों में एक्टिंग की बल्कि कई अभिनेताओं के लिए डायलॉग भी लिखे। आज हम अापको उनके कुछ अनसुने किस्से बताने जा रहे है।
कुछ अनसुने किस्से

कादर ने पिता अब्दुल रेहमान खान कंधार के थे तो मां इकबाल बेगर पिशिन की रहने वाली थीं। कादर खान के जन्म से पहले उनका परिवार काबुल में रहता था लेकिन तीन बड़े भाइयों की मौत के बाद कादर खान के माता-पिता घबराकर उन्हें लेकर मुंबई आ गए। कादर का बचपन काफी गरीबी में रहा। यहां तक कि वह झोपड़ी में भी रहे। कहा जाता है ति पैरों में पहनने के लिए उनके पास चप्पल तक भी नहीं हुआ करती थी। जब भी कादर की मां उनके गंदे पैर देखती थीं तो समझ जाती थीं कि वह मस्जिद नहीं गए।
कहा जाता है कि कादर के पहले ड्रामे में एक्टिंग देखकर एक बुजुर्ग ने उन्हें 100 रुपए का नोट दिया था। कुछ साल तक तो कादर खान ने इस नोट को अपने पास रखा लेकिन बाद में गरीबी की वजह से खर्च कर दिया। फिल्मों में एक्टिंग के अलावा कादर लेखक भी थे।
कादर की पहली फिल्म साल 1973 में आईं 'दाग' थी। इस फिल्म में कादर ने वकील का किरदार निभाया था। कहा जाता है कि कादर के कॉलेज ड्रामा में किए गए काम से दिलीप कुमार इतने इंप्रेस हुए थे कि उन्होंने कादर को दो फिल्मों 'सगीना' और 'बैराग' के लिए साइन कर लिया था। कादर खान ने करीब 300 फिल्मों में काम किया। इसके साथ ही करीब हिंदी और उर्दू में 250 फिल्मों के डायलॉग भी लिखे। यहां तक कि राजेश खन्ना और मुमताज की साल 1974 में आई फिल्म 'रोटी' के लिए कादर ने ही डायलॉग लिखे थे। इस काम के लिए कादर खान को 1 लाख 21 हजार रुपए दिए गए थे।
फिल्मों के अलावा कादर ने टीवी इंडस्ट्री में भी अपना हाथ आजमाया। कादर एक कॉमेडी शो लेकर आए थे जिसका नाम 'हंसना मत' था। इस सीरियल में कादर के अलावा शगुफ्ता अली, अंजू महेन्द्रू और हिमानी शिवपुरी भी थीं। अमिताभ बच्चन की कई फिल्मों के अलावा कादर खान ने 'हिम्मतवाला', 'कुली नंबर वन', 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी', 'खून भरी मांग', 'कर्मा', 'सरफरोश' और 'धर्मवीर' जैसी कई सुपरहिट फिल्में शामिल हैं।
कादर खान आखिरी बार साल 2015 में आई फिल्म 'दिमाग का दही' में नजर आए थे। साल 2013 में कादर को फिल्मों में योगदान के लिए साहित्य शिरोमनी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही कादर बेस्ट कॉमेडियन और बेस्ट सपोर्टिंग रोल का अवॉर्ड भी जीत चुके हैं। कहा जाता है कि एक वक्त ऐसा था कि कादर खान हीरोइनों से ज्यादा फेमस हो गए थे और दर्शक पोस्टर में उन्हें देखने के बाद ही फिल्म की टिकट खरीदते थे। कादर खान लंबे वक्त से सिनेमाजगत से दूर हैं और बेटे और बहू के साथ कनाडा में रहते हैं। करीब 45 साल तक उन्होंने बॉलीवुड में राज किया।

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मोदी की जीत भारतीय राजनैतिक चेतना का तीसरा सोपान है।

उनके लिए जिन्हें देश से प्रेम भी है और देश की फिक्र भी है मोदी की जीत भारतीय राजनैतिक चेतना का तीसरा सोपान है। पिछड़ों और दलितों की राजनीत...