Thursday, May 23, 2019

रोज़ा और प्यारे नबी की बेटी की मोहब्बत।

हजरत अली के घर में सबने रोजा रखा।
हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे हैं उनके अभी छोटे हैं पर रोजा रखा हुआ है।

मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त होने वाला है, सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं।

हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार  रोटी बनाई, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नहीं है।

हजरत फातिमा चार रोटी लाती हैं।
पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी,
दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने,
तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी,
एक रोटी खुद रख ली।

मस्जिद-ए-नबवी में अज़ान हो गयी,
सबने रोजा खोला, सबने रोटी खाई
मगर भाईयों #अल्लाह_की_कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया।

ये मामला हजरत अली ने देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नहीं लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो?

फातिमा ने कहा! ऐ अली हो सकता है मेरे बाबा जान नबी पाक को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नहीं होगा?

फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है, उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं, हजरत फातिमा दरवाजे पर हैं देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चलिये।

हजरत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नहीं होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ।

रोटी देखकर हमारे नबी पाक की
आंखों में आंसू आ गए और कहा कि
#ए_फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती।
दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं।

अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी ,
फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर छोटे छोटे टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी।

रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती हैं
हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो?

कहा अब्बा जान कल क्या होगा?? कल कौन खिलाने आयेगा?
कल क्या मेरे घर में चूल्हा जलेगा ??कल क्या आपके घर में चूल्हा जलेगा?

नबी पाक ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र कर ले ओर मैं भी सब्र करता हूँ।
हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा। अल्लाहोअकबर।

ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी।
ये गुनाहगार उम्मती हम ही हैं जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही।

और आज हमलोग
क्या कर रहे हैं।
उनके लिए
कल कयामत के दिन #मैं_और_आप_क्या_जवाब_देंगे।

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