Monday, November 13, 2017

ज़िन्दगी और ज़िंदादिली।

पत्रकारिता के पेशे में रात दिन ख़बरों के पीछे की भागदौड़। सबसे पहले मुझे मिले कोई मसालेदार ख़बर जिससे स्टाफ़ और दर्शकों-पाठकों में ज़्यादा से ज़्यादा लोकप्रियता मिले। यही गुनतारा लगा रहता है। ख़बर बहतर मिली तो ठीक वरना दिनभर की भागदौड़ के बाद ख़ुद पर खीज। ऐसी खीज जिसमें खुद का कोई दोष नहीं लेकिन फ़िर भी ग़ुस्सा खुद पर ही।
          रात करवटों में गुज़ारने के बाद सुबह फ़िर कोई न कोई नई धमाकेदार ख़बर की ख़ोज में दिन की शुरुआत।

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