Thursday, November 2, 2017

भारत की तब और अब की सर्वसुविधायुक्त पत्रकारिता।

                 एक समय था जब एक ख़बर को कवर करने के लिए पत्रकारों को साईकल से कोसों दूर तक सफ़र करना पड़ता था। सायकल में टायर पंक्चर का सामान और हवा पम्प भी साथ रखना होता था। ख़बर अगर कहीं ज़्यादा दूरी पर होती तो साथ में सेव परवल, प्याज़, नींबू और पानी भी रखना होता था। फ़ोटो के लिए रोल कैमरा, आवाज़ के लिए माइक्रो टेप रिकॉर्डर अलग से।
                  ख़बर कवरेज के बाद अब सम्बंधित प्रकाशन संस्थान तक भेजने का काम शुरू होता, घण्टों पोस्ट ऑफिस में खड़े रहकर अर्जेन्ट ख़बर भेजने के लिए ट्रंक कॉल बुक करना या दैनन्दिनी ख़बर को टेलीग्राम से भेजने के लिए भी पोस्ट ऑफिस की चौखट पर हाज़री देनी पड़ती थी।
                   कुछ अरसे बाद आया बस से लिफ़ाफ़ा में ख़बर लिखकर भेजने का ज़माना। प्रिंट मीडिया का दौर ही था। मध्यप्रदेश में इंदौर से प्रकाशित नईदुनिया का बोलबाला चहुँ ओर था। टीम भी बहतरीन पत्रकारों की उस दौर में नईदुनिया के साथ थी। एक लाइन भी नईदुनिया में किसी अधिकारी के ख़िलाफ़ छप जाना मतलब उस अधिकारी का नौकरी से हाथ धो घर बैठ जाना तय था।
                    ज़माना गुज़रता रहा और विज्ञान ने पत्रकारिता के स्वरूप में आमूल चूल परिवर्तन करने शुरू किए। आयरन लेडी इंदिरा गांधी की मौत का समाचार दूरदर्शन से लाइव प्रसारित किया गया। इनकी अंत्येष्टि का समाचार भी दूरदर्शन पर ही देश भर के नागरिकों ने देखा। भारत में सूचना क्रांति का यह कस्बाई दस्तक ने लोगों के मन में श्वेत श्याम और फ़िर कलर टी व्ही के प्रति जिज्ञासा को जन्म दिया।
                    देखते देखते दूरदर्शन पर फ़ीचर फ़िल्म, नाच-गानों के साथ साथ कुछ देर के लिए समाचारों का प्रसारण भी किया जाने लगा। भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लेकर आने का श्रेय जाता है इण्डिया टुडे ग्रुप को। इण्डिया टुडे ग्रुप ने सर्वप्रथम "आजतक " नाम से सम्भवतया भारत प्रथम निजी समाचार चैनल टी व्ही पर लाया। देखते देखते आज सैकड़ों की तादाद में राष्ट्रीय, प्रादेशिक और ज़िला स्तरीय टी व्ही न्यूज़ चैनल अस्तित्व में हैं। इनके साथ ही क्षेत्रीय और भाषाई चैनल भी अस्तित्व में हैं।
                     आज प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ साथ ई-मीडिया भी बहुत तेज़ी से अपनी पहचान बना रहा है। पाठकों, दर्शकों को अपने एंड्रॉयड मोबाइल पर ही समाचार पढ़ने और देखने को आसानी से मिल जाते हैं। आज एंड्रॉयड मोबाइल फोन ने पत्रकारों के एक नए वर्ग को जन्म दे दिया है और वह है " सिटिज़न जर्नलिस्ट ", एक एंड्रॉयड मोबाइल फोन धारक आम आदमी के सामने घटित घटना का स्पॉट पर ही फ़ोटो और वहीं स्क्रिप्ट और अपलोड कर दिया फेसबुक, ट्विटर, जी+, व्हाट्सएप, हाइक, टेलीग्राम, टम्बलर, पिंटरेस्ट जैसे विश्वस्तरीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर। जब तक वास्तविक पत्रकार सम्बंधित समाचार के पास पहुंचता है तब तक यह नागरिक पत्रकार उस समाचार को लोगों तक भेज चुका होता है।
सैयद महमूद अली चिश्ती समूह संपादक अग्निचक्र समाचार पत्र समूह, भोपाल मध्यप्रदेश।
agnichakr2018@gmail.com
            

No comments:

Post a Comment

Featured post

मोदी की जीत भारतीय राजनैतिक चेतना का तीसरा सोपान है।

उनके लिए जिन्हें देश से प्रेम भी है और देश की फिक्र भी है मोदी की जीत भारतीय राजनैतिक चेतना का तीसरा सोपान है। पिछड़ों और दलितों की राजनीत...