Saturday, November 11, 2017

पीत पत्रकारिता और चाटूकारिता।

             पीत पत्रकारिता अर्थात येलो जर्नलिज्म। किसी की चाटूकारिता करना, भाटगिरी करना या सीधे लफ़्ज़ों में चमचागिरी करना, किसी के पीछे हाथ धोकर नहीं अपितु नहा धोकर पड़ जाना। किसी से कोई आर्थिक हित सीधा करने के लिए उसे सार्वजनिक रूप से प्रताड़ित करने को ही पीत पत्रकारिता कहते हैं। यह मेरा अभिमत है। ज़रूरी नहीं कि आप सब भी मेरी सोच से सहमत हों।
              आज भारत में एक साथ कई टी व्ही न्यूज़ चैनल यही सब कर रहे हैं। कोई सरकार की भाटगिरी कर करोड़ों के विज्ञापन हथिया रहा है तो किसी का मालिक सरकार के साथ होकर आर्थिक सिद्धियां प्राप्त कर रहा है।
               आज पत्रकारिता में जो निरपेक्ष है उसकी कोई गिनती नहीं है और जो किसी के साथ है वही फ़ल-फ़ूल रहा है। आप भी अगर पत्रकार हैं और श्रेष्ठ चाटुकार नहीं हैं तो माफ़ कीजिए आप स्वयं को थोथी दिलासा ही देते रहेंगे और आपसे कई पायदानों पीछे के चाटुकार आपको पीछे धकेल तेज़ी से आगे बढ़ जाएँगे। क्षमा सहित। सैयद महमूद अली चिश्ती समूह सम्पादक अग्निचक्र समूह।
agnichakrlivenews.blogspot.com

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