Monday, January 14, 2019

प्रयागराज में कुंभ शुरू, करोड़ों लोग जुटे

प्रयागराज में विश्व महाकुम्भ।

प्रयागराज में कुंभ शुरू, करोड़ों लोग जुटे


प्रयागराज। आज मकर संक्रांति है। प्रयागराज (इलाहाबाद) में आज से कुंभ मेले का आरंभ हो रहा है। विश्व के सबसे बड़े मेले में करोड़ों लोग प्रयाग की धरती पर पवित्र गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर जुट रहे हैं। मेले को भव्य कुंभ-दिव्य कुंभ नाम दिया गया है। लगभग ढाई महीने तक चलने वाले इस आयोजन की भव्यता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने दुनिया भर में इसके प्रचार-प्रसार में करोड़ों रुपये खर्च किये हैं। साधु-संतों, औघड़ों, नागाओं, बाबाओं के अलावा कल्पवास करने के लिए लाखों लोग जुटे हुए हैं। इनको देखने के लिए लाखों विदेशी मेहमान भी आये हुए हैं। विदेशियों के लिए खास तौर पर पांच सितारा होटल जैसा टेंटसिटी बनाया गया है। अकबर के किले के ठीक सामने संगमतट पर करीब दस किलोमीटर के क्षेत्र में बसे कुंभनगर को कई सेक्टरों में बांटा गया है। यहां सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल और उनके उपकेंद्र पूरे मेला क्षेत्र में हैं। इसमें चौबीस घंटे डॉक्टरों की मौजूदगी है। 


प्रयागराज शहर में पिछले दो वर्ष से इसकी तैयारियां चल रही हैं। शहर की सड़कें चार और छह लेन की बनाई गई हैं। सभी सड़कें आधुनिक और उच्च तकनीकी के प्रयोग से काफी चिकनी और मजबूत बनायी गयी हैं। रेलवे और हवाई अड्डे पर चौबीसों घंटे ट्रेनें और उड़ानों की व्यवस्था हसि।पूरे शहर में 'पेंट माई सिटी' के तहत पौराणिक विषयों पर आकर्षक और रंगीन चित्रकारी की गई है। इससे पूरा शहर सुंदर और अलग नजारा पेश कर रहा है।शहर में चौबीस घंटे बिजली-पानी की आपूर्ति हो रही है। मेले में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों, विभिन्न प्रदेशों के राज्यपालों-मुख्यमंत्रियों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। 


हिन्‍दू धर्म में महीने दो पक्षों में विभाजित होते हैं - एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्‍ल पक्ष। ऐसे ही वर्ष को भी दो अयनों में बांटा गया है- एक उत्‍तरायन (या उत्तरायण) और दूसरा दक्षिणायन (या दक्षिणायण)। सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेशकरता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है और सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस त्‍योहार को पूरे देश में मनाया जाता है, वैसे तो यह पर्व जनवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह 15 जनवरी को भी पड़ जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्‍तरायण गति प्रारंभ हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्‍तरायण भी कहते हैं।


हिन्‍दु धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्‍णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्‍मकता को समाप्‍त करने का दिन भी मानते हैं। इस दिन बहुत जगह पतंग उड़ाने की भी प्रथा है।


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