Wednesday, January 2, 2019

अन्याय के खिलाफ अनवरत योद्धा- कल्पना पारुलकर का निधन प्रदेश की अपूर्णीय छती कल्पना जो साकार नहीं हो सकी। डॉ सुनीलम


अन्याय के खिलाफ अनवरत योद्धा- कल्पना पारुलकर का निधन प्रदेश की अपूर्णीय छती
कल्पना जो साकार नहीं हो सकी।
डॉ  सुनीलम

कल्पना जी के देह त्याग की खबर फिर सोशल मीडिया पर देखी ,फिर से इंदौर में साथियों को फोन लगाया ,कहा अखबारों ने छाप दिया तो ठीक ही होगा, असल में 15 दिनों से कल्पना जी के गुजर जाने की खबर सोशल मीडिया में चल रही थी ,हर बार  में खबर पढ़ता ,कल्पना जी के नंबर पर फोन करता ,पता चलता कि वे बेहतर हैं ,होश में हैं। इसी बीच समाजवादी साथी तपन भट्टाचार्य  की उसी मेदांता अस्पताल में देहांत की खबर मिली मैं मुम्बई के रास्ते में था ,भोपाल उतर कर इंदौर गया । मदन अग्रवाल जी को लेकर मेदांता पहुंचा।
आई .सी.यू में गया ,कल्पना जी बिस्तर पर थी ,मुंह खुला हुआ था ,गर्दन नीली पड़ गई थी ,सांस चल रही थी ,कई नलियां  मुंह ,गर्दन और  हाथों में लगी हुई थी,कई बार पुकारा आंख नहीं खोली ,डॉक्टर ने बताया अभी तक जागी हुई थी ,सो गई हैं। मैंने डॉ से कहा कि जबरजस्त इक्षाशक्ति रखती हैं ,मौत के मुंह से बाहर आ जाएंगी ,डॉक्टर ने कहा हम भी उम्मीद करते है लेकिन  दोनो किडनी काम नहीं कर रही हैं,हार्ट भी 10% पंप कर रहा है ,बहुत मुश्किल है। मुझे जितनी बार कल्पना जी की खबर पढ़ने मिली हर बार मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी ,दिग्विजय सिंह ने कल्पना जी की बलि ले ली।
कल्पना जी बहुत जीवट वाली महिला थी ,एक बार फिर से विधायक बनने की कल्पना उनकी थी ,वे मानती थी की लड़ेंगी तो जरूर जीतेंगी । वे कांग्रेस छोड़ चुकी थी,आम आदमी पार्टी में बहुत सारे सपनो के साथ शामिल हुईं ,पर जल्दी ही निराश हो गईं  लेकिन अचानक कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद  कमलनाथ जी उनको वापस कांग्रेस में ले आये थे।  मैंने उनको चेताया था धोखा होगा पर उनको कमलनाथ  पर पूरा भरोसा था लेकिन दिग्विजय सिंह के वीटो के चलते टिकट नहीं दिला सके।
कल्पना जी ने मुझे बताया था कि उन्होंने कमलनाथ जी को कहा कि मेरी राजनीतिक हत्या के लिए मुझे कांग्रेस में क्यों लाये ? कमलनाथ असहाय थे ,कुछ कर न सके।
मैंने उनसे कहा कि लड़ना चाहो तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जी से बात करता हूँ ,बोली कि मेरे पास पैसा नहीं है ,पार्टी उतना पैसा नहीं दे पाएगी जितनी जरूरत है ,हारने के लिए चुनाव नहीं लड़ना चाहती। कल्पना जी टिकट न मिलने के कारण पूरी तरह टूट गईं ,इसके बावजूद उनके मन में यह पक्का भरोसा था कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो कमलनाथ जी उनको जरूर एडजस्ट करेंगे परंतु यह भी डर था कि दिग्विजय सिंह कुछ भी नहीं करने देगा।
कल्पना जी से मेरा सम्बन्ध और संपर्क बहुत पुराना था ,वे बाबा आमटे जी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में थी।1998 के बाद में हम  विधानसभा में साथ रहे ,दैनिक वेतन भोगियों  के नियमितीकरण ,शराब बंदी आंदोलन ,बिजली बिल माफी सहित तमाम आन्दोलन साथ साथ किये ।हर वर्ष मुलतापी  में होने वाले शहीद किसान स्मृति सम्मेलन में भी शामिल हुईं ।एक रात हम न्यू मार्किट चौराहे पर बाबूलाल गौर जी के साथ रातभर धरना देते रहे। उज्जैन जेल ,भोपाल जेल कई बार कल्पना जी से मिलने गया।
फोन पर हम लगातार संपर्क में रहते वे सदा कहती थी मैं और तुम मिलकर प्रदेश की सरकार को उलट सकते हैं।मैं कहता था आप प्रदेश में समय नहीं देती वे कहती थी प्रोग्राम फाइनल करो इस बार साथ दौरा करेंगे।
वे स्वप्न दृष्ट्या थी ,24 घंटे किसानों के मुद्दों को लेकर उनका दिमाग चलता रहता था। जिस मुद्दे को पकड़ लें उसको छोड़ती नहीं थीं ,मुझे याद है महिदपुर में 50 % महिलाओं से शराब की दुकान बंद कराने के हस्ताकचर के बाबजूद जब सरकार ने दुकान बंद नहीं की तो उन्होंने आंदोलन चलाया ,अपनी ही सरकार के नीतिगत फैसले को लागू कराने के लिए 3 महीने जेल में रहीं।
हमने मीटर जलाने का आंदोलन भी  साथ किया था उसमें मेरे साथी बद्रीलाल पाटीदार जी को एक साल की सजा भी हो गई थी। किसानों को सही दाम पर बिजली मिले और उपज का पूरा दाम दिलाना कल्पना जी की जीवन की प्राथमिकता थी ।
मन्दसौर में गोलीचालन के बाद हमारी  रतलाम से निकलने के बाद साथ गिरफ्तारी हुई मेधाजी ,स्वामी अग्निवेश जी ,योगेंद्र यादव जी ,पारस सकलेचा जी भी साथ थे ,फिर हम साथ ट्रैन से गए हमे फिर कलेक्टर ने गिरफ्तार कर राजस्थान पहुंचवा दिया था।
मन में बार बार आता है कि कांग्रेस ने कल्पना जी की प्रतिभा का इस्तेमाल तो किया ही नहीं उनको उचित सम्मान तक नहीं दिया।
हर उतार चढ़ाव में सीनियर  एडवोकेट देसाई जी उनके साथ रहे ,मेरे प्रकरणो को लेकर भी सदा देसाई जी और कल्पना जी आक्रोशित रहे। वे कहती थी तुम चिंता मत करो तुम्हारे साथ जो अन्याय हुआ है उसको मैं खत्म कराउंगी। मैं मजाक करता था सडक  मंत्री रहकर ।कहती थी ,समय आएगा प्रदेश चलाऊंगी ।
यह तो तय है कांग्रेस का टिकट मिला होता तो वे जीतती भी और मंत्री भी बनती लेकिन अपनो ने ही अडंगा लगा दिया। कल्पना जी की कल्पना साकार नहीं हो सकी।
उनकी कल्पना मंत्री बनने तक सीमित नहीं थी वे समतावादी किसान मज़दूर केंद्रित व्यवस्था बनाना चाहती थी।
कल्पना जी जब भी मिली , सदा आत्म विस्वास से लवरेज ,उत्साह से परिपूर्ण ,24 घंटे व्यवस्था से भिड़ने को तैयार। फोन पर  जब भी बात होती आंदोलनों की नई योजनाएं बनती।
विश्वास नहीं हो पा रहा कि वे अब नहीं हैं।अब कभी संघर्ष के मैदान में नहीं मिलेंगी। मन बहुत दुखी है , संतोष है कल्पना जी का  अंतिम दर्शन कर सका । किसान नेत्री के  तौर पर उन्हें सदा याद किया जाएगा।
एक अन्तरंग साथी का जाना खालीपन छोड़ गया,जो शायद कभी नहीं भरा जा सकेगा।

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