देश में बढ़ती वैमनस्यता, ज़िम्मेदार मौन।
भारत एक ऐसा देश जहाँ हर किसी धर्म, जाति और सम्प्रदाय को समान अधिकार दिए जाते हैं। यहाँ शरणार्थियों को रहने की छूट दी गई। यह समरसता का सिद्धांत केवल भारत में ही है। हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई। यही इस देश की प्रवृत्ति रही है।
भारत कई नामों यथा: हिन्दोस्तान, भारत, इंडिया जैसे नामों से जाना जाता है। यहाँ पाकिस्तान सिंध से आए लोगों को सम्मान के साथ रहने की जगह दी गई। यहीं बांग्लादेश से आए शरणार्थियों ने को सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया।
भारत ही वह देश है जहाँ मुग़लों, मंगोलों और अंग्रेजों ने बरसों नहीं बल्कि सदियों हुकूमत की है लेकिन फ़िर भी यह देश अडिग ही रहा। सैकड़ों साल गुलाम रहने के बावजूद यहाँ की आपसदारी और एकता हमेशा अक्षुण्य रही। बरकरार रही।
अभी कुछ सालों से यहाँ भारत में सवर्ण-दलित, हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-ईसाई का विवाद बहुत तेज़ी से बढ़ा है। कई नगरों और प्रदेशों में यह समरसता वैमनस्यता में परिवर्तित होती दीख रही है। अभी कुछ माह पूर्व राजस्थान में मुसलमानों के खिलाफ तो झारखंड में भी यही। महाराष्ट्र में दलित और मराठों में विवाद जो महाराष्ट्र से गुजरात तक पसरा। यह क्या है, कहाँ जा रहा है मेरा अमन का गहवारा। क्यों नहीं हम इसकी हिफाज़त में इसकी एकता और आपसदारी में उठ खड़े नहीं होते?
भारत एक ऐसा देश जहाँ हर किसी धर्म, जाति और सम्प्रदाय को समान अधिकार दिए जाते हैं। यहाँ शरणार्थियों को रहने की छूट दी गई। यह समरसता का सिद्धांत केवल भारत में ही है। हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई। यही इस देश की प्रवृत्ति रही है।
भारत कई नामों यथा: हिन्दोस्तान, भारत, इंडिया जैसे नामों से जाना जाता है। यहाँ पाकिस्तान सिंध से आए लोगों को सम्मान के साथ रहने की जगह दी गई। यहीं बांग्लादेश से आए शरणार्थियों ने को सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया।
भारत ही वह देश है जहाँ मुग़लों, मंगोलों और अंग्रेजों ने बरसों नहीं बल्कि सदियों हुकूमत की है लेकिन फ़िर भी यह देश अडिग ही रहा। सैकड़ों साल गुलाम रहने के बावजूद यहाँ की आपसदारी और एकता हमेशा अक्षुण्य रही। बरकरार रही।
अभी कुछ सालों से यहाँ भारत में सवर्ण-दलित, हिन्दू-मुस्लिम, हिन्दू-ईसाई का विवाद बहुत तेज़ी से बढ़ा है। कई नगरों और प्रदेशों में यह समरसता वैमनस्यता में परिवर्तित होती दीख रही है। अभी कुछ माह पूर्व राजस्थान में मुसलमानों के खिलाफ तो झारखंड में भी यही। महाराष्ट्र में दलित और मराठों में विवाद जो महाराष्ट्र से गुजरात तक पसरा। यह क्या है, कहाँ जा रहा है मेरा अमन का गहवारा। क्यों नहीं हम इसकी हिफाज़त में इसकी एकता और आपसदारी में उठ खड़े नहीं होते?
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